ए री सखी, मोरे पिया घर आए
ए री सखी, मोरे पिया घर आए
भाग लगे इस आँगन को
भाग लगे इस आँगन को
अपने पिया की मैं बल-बल जाऊँ
अपने पिया की मैं बल-बल जाऊँ
चरण लगायो निर्धन को
चरण लगायो निर्धन को
ए री सखी, मोरे पिया घर आए
मैं तो खड़ी थी आस लगाए
मैं तो खड़ी थी आस लगाए
मेहँदी, कजरा, माँग सजाए
देख सूरतिया अपने पिया की
देख सूरतिया अपने पिया की
हार गई मैं तन-मन को
हार गई मैं तन-मन को
ए री सखी, मोरे पिया घर आए
जिसका पिया संग बीते सावन
उस दुल्हन की रैन सुहागन
जिस सावन में पिया घर नाहीं
जिस सावन में पिया घर नाहीं
आग लगे उस सावन को
आग लगे उस सावन को
ए री सखी, मोरे पिया घर आए
ए री सखी, मोरे पिया घर आए