[Intro]
आज हमारे बीच R.D. Burman जी नहीं हैं
लेकिन ऐसे-ऐसे compositions उन्होंने करे हैं
इतनी चोटी से उमर में, खास तौर पर "अमर प्रेम" के गाने
एक से एक अच्छे गाने
और मुझे किशोर दा का ये गया हुआ "चिंगारी"
वो राग भैरवी है, लेकिन कितने खूबसूरत तरह से
वो भैरवी का प्रयोग करा गया है
[Pre-Chorus]
हम्म, चिंगारी कोई भड़के...
चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए
सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए?
हो, उसे कौन बुझाए?
[Chorus]
पतझर जो बाग़ उजाड़े, वो बाग़ बहार खिलाए
जो बाग़ बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाए?
हो, उसे कौन खिलाए?
[Verse 1]
हमसे मत पूछो, "कैसे मंदिर टूटा सपनों का?"
हमसे मत पूछो, "कैसे मंदिर टूटा सपनों का?"
लोगों की बात नहीं है, ये क़िस्सा है अपनों का
[Chorus]
कोई दुश्मन ठेस लगाए तो मीत जिया बहलाए
मनमीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाए?
[Verse 2]
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िंदा हैं, ना पीते तो मर जाते
[Chorus]
दुनिया जो प्यासा रखे तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाए, उसे कौन बुझाए?
हो, उसे कौन बुझाए?
[Verse 3]
माना तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
माना तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
[Chorus]
मझधार में नैया डोले तो माझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोए, उसे कौन बचाए?
हो, उसे कौन बचाए?
[Outro]
चिंगारी...
हम्म-हम्म-हम्म
हम्म-हम्म-हम्म