[तुम नया एहसास हो
जन्नती बरसात हो] x 2
धूप जितनी है सुबह की
उतने मेरे पास हो..
तुम हँसी लम्हात हो
राहतों की बात हो
ख़्वाबों को रख के लबों पे
गुनगुनाती रात हो
तुम हो..
दिन के उजालों में भी
रब सा ख़यालों में भी
तुम हर दफ़ा हो…
तुम हो
मेरी आवाज़ों में भी
बिन बोले वादों में भी
तुम हर दफ़ा हो…
हाँ साथ में मेरे रात बिताने
नींद की तरहा आओ सिरहाने
तुम मेरी मुस्कान हो
तुम ही मेरी जान हो
मैं हूँ पल बेचैनियों का
तुम मेरा आराम हो
तुम हो दिन के उजालों में भी
रब सा ख़यालों में भी
तुम हर दफ़ा हो
तुम हो मेरी आवाज़ों में भी
बिन बोले वादों में भी
तुम हर दफ़ा हो
मैं बहना चाहूँ तुम्हीं से होके
तेरे ही किनारे मुझे फिर रोके
तुम मेरी पहचान हो
तुम ही मेरा नाम हो
मैं हूँ लम्हा दोपहर का
तुम सुबह हो शाम हो
[तुम हो दिन के उजालों में भी
रब सा ख़यालों में भी
तुम हर दफ़ा हो
तुम हो मेरी आवाज़ों में भी
बिन बोले वादों में भी
तुम हर दफ़ा हो]
ExplainRequest
×